जमाल-ए-शाहिद-ए-फ़ितरत का पर्दा-दार हूँ मैं गुलों की क्या हो तमन्ना कि ख़ुद बहार हूँ मैं अलम की तह में भी रंग-ए-नशात शामिल है मिज़ाज-ए-हस्ती-ए-फ़ानी का राज़दार हूँ मैं अजब तिलिस्म का आलम है बज़्म-ए-साक़ी में न बे-ख़बर हूँ मैं ख़ुद से न होशियार हूँ मैं जबीन-ए-शौक़ कभी वक़्फ़-ए-आस्ताँ न हुई वक़ार-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत का पासदार हूँ मैं जियूँ तो नंग-ए-मोहब्बत मरूँ तो नंग-ए-वफ़ा असीर-ए-कशमकश-ए-जब्र-ओ-इख़्तियार हूँ मैं ख़ुदा करे कोई तेरा पयाम ले आए तिरे बग़ैर कई दिन से बे-क़रार हूँ मैं 'बहार' मुझ से मोहब्बत का हक़ अदा न हुआ समझ रहा था ज़माना वफ़ा-शिआ'र हूँ मैं