ज़मीं है मिरी आसमानी नहीं हूँ फ़क़त एक क़िस्सा कहानी नहीं हूँ नदी की तरह बहती अपनी हदों में समुंदर की कोई रवानी नहीं हूँ न कर खेलने की तू गुस्ताख़ी मुझ से मैं इक आग हूँ कोई पानी नहीं हूँ कई मुझ में किरदार साँसें हैं लेते कहानी में हूँ ज़िंदगानी नहीं हूँ अमावस न पूनम से मुझ को ग़रज़ है महकती हुई रात-रानी नहीं हूँ मैं जैसी थी कल हूँ वही आज भी मैं बदलती रुतों की निशानी नहीं हूँ