ज़मीं की गोद में रक्खे हुए अफ़्लाक के ख़ित्ते सितारे चूमते हैं सर-ज़मीन-ए-पाक के ख़ित्ते कोई तुझ सा हसीं दुनिया-ए-रंग-ओ-बू में क्या होगा ऐ मेरी जान के टुकड़े ऐ मेरी ख़ाक के ख़ित्ते तिरी ताबिंदगी से मेरी पेशानी चमकती है तिरे ख़्वाबों से रौशन हैं मिरे इदराक के ख़ित्ते तिरे फ़र्श-ए-मोहब्बत पर दिलों का रक़्स जारी है कहाँ तू और कहाँ बाक़ी ख़स-ओ-ख़ाशाक के ख़ित्ते ये मेरी फ़िक्र के गौहर तिरी मिट्टी का तोहफ़ा हैं तिरे क़ुर्बान जाऊँ इल्म-ओ-इस्तिदराक के ख़ित्ते