ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा ये हैरत का मकाँ कब तक रहेगा नज़र कब आश्ना-ए-रंग होगी तमाशा-ए-ख़िज़ाँ कब तक रहेगा रहेगी गर्मी-ए-अनफ़ास कब तक रगों में ख़ूँ रवाँ कब तक रहेगा हक़ीक़त कब असर-अंदाज़ होगी ख़सारे में जहाँ कब तक रहेगा बदल जाएँगे ये दिन रात 'अजमल' कोई ना-मेहरबाँ कब तक रहेगा