ज़मीं से उगती है या आसमाँ से आती है ये बे-इरादा उदासी कहाँ से आती है इसे नए दर-ओ-दीवार भी न रोक सके वो इक सदा जो पुराने मकाँ से आती है बदन की बॉस नसीम-ए-लिबास बू-ए-नफ़स कोई महक हो उसी ख़ाक-दाँ से आती है दिलों की बर्फ़ पिघलती नहीं है जिस के बग़ैर वो आँच एक ग़म-ए-बे-निशाँ से आती है सुख़न-वरी है नज़र से नज़र का नाज़-ओ-नियाज़ अरूज़ से न ज़बान-ओ-बयाँ से आती है