जाने क्या जादू इलाही क़ब्ज़ा-ए-क़ातिल में है तीर उस के हाथ में है ज़ख़्म मेरे दिल में है जिस निगाह-ए-नाज़ से तड़पा दिया था आप ने आज तक महफ़ूज़ वो मंज़र हमारे दिल में है चारागर पूछा है तो सुन ले ठिकाना दर्द का आँख में सीने में पहलू में जिगर में दिल में है ज़िंदगी का कुछ भरोसा ही नहीं है ऐ 'अदा' एक मिटती लहर गोया दामन-ए-साहिल में है