इस तरह ए'तिबार करते रहे सारी हस्ती निसार करते रहे दिल जलाया किए दिए की जगह रंज-ओ-ग़म आश्कार करते रहे मेरी चाहत को आज़माया किए बे-रुख़ी इख़्तियार करते रहे हम तो अह्द-ए-वफ़ा निभाया किए वो हमें शर्मसार करते रहे उन से इज़हार-ए-ग़म गुनह ही सही हम उसे बार बार करते रहे कैसा वा'दा किया था आने का आज तक इंतिज़ार करते रहे फूल कुम्हला गए चमन के मगर लोग जश्न-ए-बहार करते रहे हम तड़पते रहे 'अदा' हर दम चश्म-ए-ग़म अश्क-बार करते रहे