जानूँ मैं न जबकि नाम उस का पूछूँ क्या कह मक़ाम उस का है दिल कूँ तपिश कुछ और ही आज लाता है कोई पयाम उस का नामा कि तो क्या जगह कि क़ासिद लाया ही न याँ सलाम उस का मत लीजियो दिल तू चाह का नाम क़त्ल-ए-आशिक़ है काम उस का हो जाएगा पाएमाल 'बेदार' देखेगा अगर ख़िराम उस का