जपे है विर्द सा तुझ से सनम के नाम को शैख़ By Ghazal << मा'रके में इश्क़ के स... मुफ़्लिसी सब बहार खोती है >> जपे है विर्द सा तुझ से सनम के नाम को शैख़ नमाज़ तोड़ उठे तेरे राम राम को शैख़ सिवा हमारे तू ज़ाहिद को मत दिखा आँखें बग़ैर रिंदों के क्या जाने क़द्र जाम को शैख़ जो आवे वक़्त-ए-नमाज़ उस के सामने मिरा शोख़ करूँ मैं सज्दा अगर फेरे सर सलाम को शैख़ Share on: