ज़रा सोचो तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ है बदन टूटा हुआ था पारा पारा क्यूँ हुआ है ख़ुद अपनी मौज से बेगाना दरिया क्यूँ हुआ है जो होना ही नहीं था आज ऐसा क्यूँ हुआ है सुरों पर आसमाँ डूबा हुआ है बादलों में दुखों की झील का पानी भी गहरा क्यूँ हुआ है ख़ुदाया आजिज़ी से मैं ने माँगा क्या मिला क्या असर मेरी दुआओं का ये उल्टा क्यूँ हुआ है ये कैसी रौशनी है और किन राहों से आई है यकायक मेरी आँखों में अंधेरा क्यूँ हुआ है वहाँ की आब-जू में तेल बहता है बराबर यहाँ वादी में अपनी ख़ुश्क दरिया क्यूँ हुआ है कहाँ जाएँगे तुझ को छोड़ कर ऐ माँ बता दे तिरी आग़ोश में दुश्वार जीना क्यूँ हुआ है ये किस ने कर दिया दो लख़्त मुझ को आज 'हमदम' कहाँ हूँ मैं मिरा साया अकेला क्यूँ हुआ है