ज़र्ब-ए-हालात कुछ नहीं होती रंज की बात कुछ नहीं होती जिस में दिल का ज़ियाँ नहीं होता वो मुलाक़ात कुछ नहीं होती वो जो शायान-ए-शान-ए-फ़क़्र न हो ऐसी ख़ैरात कुछ नहीं होती बद-सरिश्ती लहू में होती है बात में बात कुछ नहीं होती ज़ो'म तो आस्तीं का होता है साँप की ज़ात कुछ नहीं होती लोग जो बा-वफ़ा नहीं होते उन की औक़ात कुछ नहीं होती एक वक़्फ़ा विसाल का है फ़क़त हिज्र की रात कुछ नहीं होती जब से आँखें उजड़ गई हैं 'क़ैस' घर में बरसात कुछ नहीं होती