ज़ेर-ए-लब आप गुनगुनाए हैं By Ghazal << छट गया अब्र शफ़क़ खुल गई ... तुम वक़्त-ए-सहर रौज़न-ए-द... >> ज़ेर-ए-लब आप गुनगुनाए हैं दिल में लाखों ख़याल आए हैं सोचता हूँ तिरे ज़माने में क्या कभी हम भी मुस्कुराए हैं मौसम-ए-गुल की तंग-दामानी फूल माँगे थे ख़ार पाए हैं तेरी महफ़िल में रौशनी के लिए आँसुओं के दिए जलाए हैं Share on: