तुम वक़्त-ए-सहर रौज़न-ए-दीवार में देखो लाली सी कहीं सुब्ह के आसार में देखो हर जिंस की क़ीमत है मिरे सर से ज़ियादा रुक कर तो कभी कूचा ओ बाज़ार में देखो थक-हार के सीखे हैं मसाफ़त के क़रीने इक ताज़ा सफ़र साया-ए-दीवार में देखो ये अतलस ओ किम-ख़्वाब मिरा असल नहीं हैं मिलना हो तो मुझ को मिरे पिंदार में देखो अब जुर्म है हम-साए का हम-साए से मिलना ये ताज़ा ख़बर आज के अख़बार में देखो मैं नींद में चलता हुआ खो जाऊँ न 'क़ैसर' आहट मिरे क़दमों की शब-ए-तार में देखो