जाता है कौन आप से जल्लाद की तरफ़ खींचा इस आब-ओ-दाना ने सय्याद की तरफ़ ना-ख़ुश है आशिक़ों से बहुत आज-कल वो शोख़ बदले करम के तब्अ है बेदाद की तरफ़ मश्शाता जज़्ब-ए-दिल सा कोई दूसरा नहीं शीरीं को खींच ले गया फ़रहाद की तरफ़ इश्क़-ए-बुताँ है ख़्वाब-ए-फ़रामोश ऐ ख़ुदा आया है फिर ख़याल तिरी याद की तरफ़ देती नहीं नज़ाकत उसे हुक्म क़त्ल का जाता हूँ दौड़ दौड़ के जल्लाद की तरफ़ आता है क़द्द-ए-यार चमन में मुझे जो याद हैरत से तकने लगता हूँ शमशाद की तरफ़ ये क्या सबब है काफिर-ओ-दीं-दार सब हुए यारब उसी बुत-ए-सितम-ईजाद की तरफ़ 'आजिज़' छुड़ाए बख़्त अगर क़ैद-ए-ज़ीस्त से आऊँ कभी न आलम-ए-ईजाद की तरफ़