कोई आँसू बहाने आ गया शायद उसे मेरा तड़पना भा गया शायद हँसी मेरे लबों की जिस को थी प्यारी मुझे वो देख कर उक्ता गया शायद वो गुल जिस से चमन हर-पल महकता था वो ज़द से वक़्त की मुरझा गया शायद यकायक नींद में आँसू निकल आए वो ख़्वाबों में मुझे तड़पा गया शायद मिला वैसे ही जैसे पहले मिलता था वरक़ माज़ी का वो सहला गया शायद