जाती कहाँ हो मस्त हवाओ By Ghazal << मिरे सीने में पत्थर सो रह... हर एक शख़्स शनासा दिखाई द... >> जाती कहाँ हो मस्त हवाओ अता-पता तो कुछ लिखवा दो आतिश-ए-ग़म है बुझने वाली हँस के उस की आँच बढ़ा दो बैठ गया हूँ दूर से आ कर चाहो तो दीवार गिरा दो दीवाने फिर दीवाने हैं नासेह को ये बात बता दो किस ने कहा था अश्क बहा कर 'साहिल' तुम तूफ़ान उठा दो Share on: