ज़ुल्फ़-ए-दिलबर ले गई दिल घात से मैं तो बे-दिल हो रहा हूँ रात से ऐ दिल-ए-बे-ताब ईता मत तड़प जी ब-तंग आया है तेरे सात से अब तो ऐ अब्र-ए-मिज़ा खुल जा शिताब भीग गए हम अश्क की बरसात से रश्क से मुझ अश्क-ए-ख़ूँ के देख लाल रंग मेहंदी कें न उड़ जा हात से सौ हलावत दिल मिरा पाता है इश्क़ लब-शकर की एक मीठी बात से