ज़ुल्म भी ढाएँगे तुम्हारे ख़याल रास भी आएँगे तुम्हारे ख़याल गुनगुनाएगी मेरी तन्हाई साज़ बन जाएँगे तुम्हारे ख़याल मेरे हमराह तुम भी हो जैसे दूर तक जाएँगे तुम्हारे ख़याल मेरे दिल की किताब मत पढ़ना डगमगा जाएँगे तुम्हारे ख़याल जब भी कुछ काम करने बैठूँगा मुझ को भटकाएँगे तुम्हारे ख़याल जब उन्हें हम रखेंगे ताज़ा-दम कैसे धुँदलाएँगे तुम्हारे ख़याल जैसे चढ़ जाता है नशा 'बादल' ज़ेहन पर छाएँगे तुम्हारे ख़याल