जौर किस का है सितम किस का है कुछ न पूछो ये करम किस का है दिल-ए-बे-ताब तड़प कर कह दे पूछते वो हैं कि ग़म किस का है तेरे कूचे में बता दे सच-मुच आज ये नक़्श-ए-क़दम किस का है जल्वा-अफ़रोज़ तू ही तू है तमाम दैर किस का है हरम किस का है दिल-ए-नाशाद अभी तक क़ाएम न तड़पने से भरम किस का है आमद-ए-पीर-ए-मुग़ाँ है शायद मुंतज़िर शैख़-ए-हरम किस का है चर्ख़ भी देख के चक्कर में है कि ये अंदाज़-ए-सितम किस का है बे-कसी राह लग अपनी ये न पूछ ध्यान मुझ को शब-ए-ग़म किस का है दिल के बे-साख़्ता जो पार हुआ हाए ये तीर-ए-सितम किस का है सुनते ही बोले ये है नज़्म 'फहीम' ऐसा शोख़ और क़लम किस का है