जवानी मय-ए-अरग़वानी से अच्छी मय-ए-अरग़वानी जवानी से अच्छी बक़ा जिस में हो शय वो फ़ानी से अच्छी हमें मौत उस ज़िंदगानी से अच्छी जवानी हो अच्छी सी अच्छी किसी की न होगी तुम्हारी जवानी से अच्छी ये मय शैख़ को नार-ए-दोज़ख़ से बढ़ कर ये मय हम को जन्नत के पानी से अच्छी हमेशा को अब हो गई आँख मूसा सदा होगी क्या लन-तरानी से अच्छी अगर पासबानी मिले तेरे दर की तो ख़िदमत नहीं पासबानी से अच्छी मिला टूट कर हम ने तौबा जो तोड़ी निभी चंद दिन शैख़ फ़ानी से अच्छी निशाना बने दिल रहे तीर दिल में निशानी नहीं इस निशानी से अच्छी तिरी ख़ुश-बयानी का क्या ज़िक्र वाइज़ ख़मोशी तिरी ख़ुश-बयानी से अच्छी जवानी तो गुज़री बुढ़ापे से बद-तर गुज़र जाए पीरी जवानी से अच्छी जो उल्फ़त में हासिल हुईं क़ैस तुझ को ये नाकामियाँ कामरानी से अच्छी 'रियाज़' आ रहो तुम जो साहिर के दर पर रहे मौत भी ज़िंदगानी से अच्छी