नाला-ए-ख़ूनीं से रौशन दर्द की रातें करो मैं नहीं कहता दुआ माँगो मुनाजातें करो दिल के गुच्छे में हैं सारे मौसमों की चाबियाँ धूप खोलो चाँदनी छिटकाओ बरसातें करो जो नहीं सुनते हैं उन को भी सुनाओ अपनी बात जो नहीं मिलते हैं उन से भी मुलाक़ातें करो मौत ख़ामोशी है चुप रहने से चुप लग जाएगी ज़िंदगी आवाज़ है बातें करो बातें करो