दाद तो बा'द में कमाएँगे पहले हम सोचना सिखाएँगे मैं कहीं जा नहीं रहा लेकिन आप क्या मेरे साथ आएँगे कोई खिड़की खुलेगी रात गए कई अपनी मुराद पाएँगे खुल के रोने पे इख़्तियार नहीं हम कोई जश्न क्या मनाएँगे हँसेंगे तेरी बद-हवासी पर लोग रस्ता नहीं बताएँगे तुम उठाओगे कोई रंज मिरा दोस्त अहबाब हज़ उठाएँगे हमें अपनी तलाश में मत भेज खड़ी फ़सलें उजाड़ आएँगे