ज़वाल-ए-शब में किसी की सदा निकल आए सितारा डूबे सितारा-नुमा निकल आए अजब नहीं कि ये दरिया नज़र का धोका हो अजब नहीं कि कोई रास्ता निकल आए ये किस ने दस्त-ए-बुरीदा की फ़स्ल बोई थी तमाम शहर में नख़्ल-ए-दुआ निकल आए बड़ी घुटन है चराग़ों का क्या ख़याल करूँ अब इस तरफ़ कोई मौज-ए-हवा निकल आए ख़ुदा करे सफ़-ए-सरदादगाँ न हो ख़ाली जो मैं गिरूँ तो कोई दूसरा निकल आए