जाएँ कहाँ हम आप का अरमाँ लिए हुए दर्द-ए-फ़िराक़-ओ-काविश-ए-हिज्राँ लिए हुए इन आँसुओं की तुम को हक़ीक़त बताएँ क्या आँखें हैं मेरी शौकत-ए-तूफ़ाँ लिए हुए रंज-ए-फ़िराक़ भी है नशात-ए-विसाल भी हूँ साथ साथ दर्द के दरमाँ लिए हुए आसाँ नहीं विसाल तो दुश्वार भी नहीं मुश्किल में हूँ ये मुश्किल-ए-आसाँ लिए हुए रहमत ने लूट लूट लिया मुझ को हश्र में पहुँचा जो मैं बिज़ाअ'त-ए-इस्याँ लिए हुए यारब हो ख़ैर आमद-ए-फ़स्ल बहार की दस्त-ए-जुनूँ है चाक-ए-गरेबाँ लिए हुए 'नजमी' हमारी चश्म-ए-बसीरत के वास्ते है गुल की पंखुड़ी भी गुलिस्ताँ लिए हुए