जेब में कौड़ी नहीं घर में नहीं दाने का नाम साले ससुरे हैं कि लेते ही नहीं जाने का नाम इस से बढ़ कर और क्या होगा शराफ़त का सुबूत बारह थानों पर लिखा है तेरे दीवाने का नाम मार कर डंडे भगाई जा रही है रात-दिन और गिरानी मुल्क से लेती नहीं जाने का नाम शम्अ' अपने हुस्न का करती है ऐड्व़टाइज़् ख़ुद मुफ़्त में बदनाम कर देती है परवाने का नाम इक नज़र से सब को देखे है कोई इस दौर में सारी दुनिया की ज़बाँ पर आएगा काने का नाम बोर्ड पढ़ पाते नहीं वाइज़ पलट जाते हैं घर मधुशाला हो गया है जब से मयख़ाने का नाम हम तो 'नावक' आशिक़ी में जान दे सकते नहीं उन के मुँह पर ले लिया करते हैं मर जाने का नाम