जीत और हार में पड़े हुए हैं लोग मेआ'र में पड़े हुए हैं अब गुज़रता है वक़्त तेज़ी से हम भी रफ़्तार में पड़े हुए हैं हम मुक़य्यद हैं तेरे होंटों में और इंकार में पड़े हुए हैं उन चराग़ों को काम में लाओ जो भी बे-कार में पड़े हुए हैं झाड़ आया हूँ अपने दामन को दाग़ बाज़ार में पड़े हुए हैं