जीत की और न हार की ज़िद है दिल को शायद क़रार की ज़िद है कोई भी तो नहीं तआ'क़ुब में जाने किस से फ़रार की ज़िद है हम से कुछ कह रहे हैं सन्नाटे पर हमें इंतिज़ार की ज़िद है इश्क़ चाहे कि लब को जाम लिखे हुस्न को इंकिसार की ज़िद है बारहा हम ने संगसार किया पर उसे ए'तिबार की ज़िद है एक अंजाम-ए-तय-शुदा के लिए फिर ख़िज़ाँ को बहार की ज़िद है इक बार उस से क्या मिलीं नज़रें दिल को अब बार बार की ज़िद है