झिजक कैसी है तुम बेदाद पर बेदाद कर लेना सितम-ईजाद हो ताज़ा सितम ईजाद कर लेना तुम्हें मश्क-ए-जफ़ा मंज़ूर अगर है दिल भी हाज़िर है अभी बर्बाद कर दो फिर इसे आबाद कर लेना रिहाई हो कि पाबंदी असीर उन के उन्हीं के हैं अभी पाबंद कर देना अभी आज़ाद कर लेना ब-जुज़ इस के करूँ तो क्या करूँ ऐ बेबसी मेरी कभी ख़ामोश रह जाना कभी फ़रियाद कर लेना ये ज़ाहिर है कि हम मजबूर हैं कुछ कर नहीं सकते सितम तुझ से जहाँ तक हो सके सय्याद कर लेना अगर शोहरत तुम्हें मंज़ूर है अहल-ए-मोहब्बत में सबक़ मेह्र-ओ-वफ़ा का दिल लगा कर याद कर लेना ख़ुदा ना-कर्दा तुम क्यों पास आओ ना-मुरादों के जो मुमकिन हो तो उन भूले हुओं को याद कर लेना जफ़ाओं पर भी शादाँ हूँ वफ़ाओं पर भी क़ुर्बां हूँ मुझे तुम आज़मा कर अपने दिल को शाद कर लेना करो 'कौकब' वतन की क़द्र क्या बैठे हो तुम ग़ाफ़िल कभी तो ख़िदमत-ए-अह्ल-ए-मुरादाबाद कर लेना