जी रहे हो अपनी गर्दन तान कर क्या मिला आधे ख़ुदा को मान कर ये जहाँ शायद किसी का ख़्वाब है ख़्वाब जो देखा गया हो जान कर लिखने वाले बाक़ियों से ठीक हैं काटते हैं पेड़ को पहचान कर अब्र तो मेरे लिए भगवान है दे रहा है मुझ को पानी छान कर ख़ाक में मिल जाएँगे मोती तिरे जीते जी इन मोतियों का दान कर