जिन दिनों हम उदास लगते हैं जाने क्या क्या क़यास लगते हैं वो अदाकार हैं ख़याल रहे जो बहुत ग़म-शनास लगते हैं बाज़ औक़ात बद-हवासी में सब के सब बद-हवास लगते हैं मुस्कुराने की क्या ज़रूरत है आप यूँ भी उदास लगते हैं चंद ख़ुश-फ़हम ख़ुश-लिबासों को दूसरे बे-लिबास लगते हैं