जिन के चर्चे शहर भर में पाक-दामानी में हैं मय-कदे में देख उन को हम तो हैरानी में हैं इस तरफ़ है मय-कदा और उस तरफ़ है घर तिरा किस तरफ़ जाएँ अभी तक इस परेशानी में हैं एक लम्हा वस्ल का हम को मिला जाने दिया ख़्वाहिशें अब तक हमारी इस पशेमानी में हैं मुत्तहिद होना पड़ेगा पार उतरने के लिए कब समझ में आएगा हम लोग तुग़्यानी में हैं ये मेरा हुजरा सुकून-ए-क़ल्ब ये सज्दे मियाँ राहतें कब ये मयस्सर क़स्र-ए-सुल्तानी में हैं