लोग कोशिश में हैं मेरा क़द घटाने के लिए पर ख़ुदा राज़ी है मेरा क़द बढ़ाने के लिए बेवफ़ा की दास्ताँ मुझ को सुनाने के लिए लोग आ जाते हैं मेरा ग़म बढ़ाने के लिए तुम हमारे सामने ज़िक्र-ए-नबी करते रहो इतना बस काफ़ी है दिल को चैन पाने के लिए इतनी तंग-दस्ती है अब भी इस क़दर मेहनत के बाद किस क़दर दुश्वारियाँ हैं घर चलाने के लिए ग़म तिरा आवाज़ देता है बता मैं क्या करूँ मैं गया था लौट कर वापस न आने के लिए हब्स-ए-दिल बढ़ने लगा तो खुल के फिर हम रो दिए ये सलीक़ा था हमारा ग़म भुलाने के लिए सब तहाइफ़ मैं ने तेरे कर दिए वापस मगर हाथ में एक चेन रक्खी है घुमाने के लिए