जिन को कुछ मंज़ूर रब की दोस्ती से कम नहीं मौत भी उन के लिए तो ज़िंदगी से कम नहीं एक ये भी है इबादत का तरीक़ा दोस्तो ख़िदमत-ए-ख़ल्क़-ए-ख़ुदा भी बंदगी से कम नहीं फिर ख़याल आता है नख़वत है ख़ुदा को ना-पसंद जी में आता तो है कह दें हम किसी से कम नहीं सुल्ह का क्यों रास्ता करते नहीं तुम इख़्तियार दुश्मनों जब होने वाली दुश्मनी से कम नहीं जिस को हासिल हो गई वो साहब-ए-तौक़ीर है तेरे दर की नौकरी भी अफ़सरी से कम नहीं मान जा शम-ए-मोहब्बत को बुझा मत मान जा ये उजाला सूरजों की रौशनी से कम नहीं शे'र कहना शौक़ है पेशा नहीं मेरा 'कमाल' इश्क़ वैसे तो मुझे भी शाइ'री से कम नहीं