मिरे बा'द साँसें भी खोया करेगा तू बार-ए-ग़म-ए-इश्क़ ढोया करेगा मयस्सर तुझे हर ख़ुशी होगी लेकिन मुझे याद कर के तू रोया करेगा मैं सेहन-ए-गुलिस्ताँ में जब न मिलूँगी तू फूलों के दामन भिगोया करेगा कोई चाँद की पालकी से उतर के तिरे शब-कदे में ही सोया करेगा किसी ने कहा था कि ढलता हुआ दिन उदासी तिरे दिल में बोया करेगा ब-ज़ाहिर तिरे साथ कोई न होगा कोई तो मगर साथ होया करेगा हर इक चीज़ पर दस्तरस होगी तेरी मगर चैन से तू न सोया करेगा कभी चाँद उतरेगा जब पानियों में बदन के सभी दाग़ धोया करेगा मिरे हाथ पर हाथ रक्खा है उस ने बिछड़ने की बातें भी गोया करेगा समुंदर की तुझ को दुआ है कि अब तू किनारे पे कश्ती डुबोया करेगा न दुश्वार हो उस का 'जीना' ख़ुदाया वगर्ना ये दिल मेरा रोया करेगा