जीने का सामान नहीं दिल में कोई अरमान नहीं मेरे दिल के हाल से वो ग़ाफ़िल है अंजान नहीं तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ और हम से मुश्किल है आसान नहीं प्यासे को क़तरे की भीक ये तो कोई एहसान नहीं ग़म के बादल छट जाएँ ऐसे तो इम्कान नहीं ज़ह्र भी पीना पड़ता है हक़-गोई आसान नहीं तुम ही कुछ बतलाओ 'सलीम' ज़ीस्त का हम को ज्ञान नहीं