जिस को भी देखा तिरे हुस्न पे माइल देखा कोई नाकाम-ए-तमन्ना कोई बिस्मिल देखा जान परवाने ने दी शम्अ' पे जल कर जिस वक़्त हम ने उस वक़्त तनफ़्फ़ुर से सू-ए-दिल देखा वो न आए थे शब-ए-वा'दा मगर आना पड़ा क्या असर लाया मिरा जज़्बा-ए-कामिल देखा हम ने माना कि हमें भूल गया भूल गया दिल को लेकिन न तिरी याद से ग़ाफ़िल देखा लाख तूफ़ान-ए-हवादिस में रही कश्ती-ए-दिल मैं ने मुड़ कर न कभी जानिब-साहिल देखा उम्र भर इश्क़ में जाँ कोई है लेकिन 'जौहर' जुज़ ग़म-ए-इश्क़ न कुछ इश्क़ का हासिल देखा