जिस कूँ पियो के हिज्र का बैराग है आह का मज्लिस में उस की राग है क्यूँ न होए दिल जल के ख़ाकिस्तर नमन आतिशीं-रू की मोहब्बत आग है ऐ दिल उस के ज़हर सें वसवास कर ज़ुल्फ़ नीं है बल्कि काला नाग है जब सें लाया इश्क़ ने फ़ौज-ए-जुनूँ अक़्ल के लश्कर में भागा भाग है ताला-ए-सिकंदरी रखता 'सिराज' रू-ब-रू आईना-रू क्या भाग है