जिस तरफ़ भी वो इक नज़र डाले सब के सब ख़ाली जाम भर डाले इस मोहब्बत के जब गले लगा मैं रूह में उस ने छेद कर डाले यूँ भी नोचा है ख़ुद को वहशत में अपने नाख़ुन भी ख़ुद कतर डाले उस के दर का मैं बस रहूँ साइल भीक झोली में वो अगर डाले रू-ब-रू जब वो 'शोख़' आया तो हाथ दोनों ही दिल पे धर डाले