जिस तरफ़ से भी मिलावट की रसद है रद है एक रत्ती भी अगर ख़्वाहिश-ए-बद है रद है दुख दिए हैं ज़र-ए-ख़ालिस की परख ने लेकिन जिस तअ'ल्लुक़ में कहीं कीना-ओ-कद है रद है अमन लिखना नहीं सीखें जिन्हें पढ़ कर बच्चे उन किताबों पे किसी की भी सनद है रद है जब चढ़ाई पे मिरा हाथ न थामा तू ने अब ये चोटी पे जो बे-फ़ैज़ मदद है रद है इस लगावट भरे लहजे की जगह है दिल में तहनियत में जो रिया और हसद है रद है अपनी सरहद की हिफ़ाज़त पे है ईमान मगर ज़िंदगी और मोहब्बत पे जो हद है रद है उस से कहना कि ये तरदीद कोई खेल नहीं जो मिरी बात को दोहराए कि रद है रद है