जितनी तस्वीरें थीं मेरी By Ghazal << अजब तिलिस्म है नैरंग-ए-जा... एक ज़र्रा भी न मिल पाएगा ... >> जितनी तस्वीरें थीं मेरी मेरी हर तस्वीर में वो थी जितनी तहरीरें थी मेरी मेरी हर तहरीर में वो थी जितने मेरे रिश्ते-नाते मेरी हर ज़ंजीर में वो थी मेरी हर इक जीत में शामिल मेरी हर तक़दीर में वो थी सब कुछ पाया उस की दुआ से मेरी हर जागीर में वो थी Share on: