जो बा-क़िरदार हो उस को सियानी कौन कहता है

जो बा-क़िरदार हो उस को सियानी कौन कहता है
किसी मज़दूर की बेटी को रानी कौन कहता है

बजट जब सारे लग जाएँ वज़ारत की ही कुर्सी पर
तो इस तर्ज़-ए-मईशत को गिरानी कौन कहता है

मोहब्बत के फ़साने आज भी तहरीर होते हैं
बहार-ए-ज़िंदगानी को पुरानी कौन कहता है

मिरी नानी सुनाती थी हिकायत सात परियों की
वो सच्चे प्यार की लोरी सुहानी कौन कहता है

नहीं मिटता मिटाने से किसी से प्यार का रिश्ता
मोहब्बत तो हक़ीक़त है कहानी कौन कहता है

अता उम्र-ए-रवाँ ने की है जो सौग़ात बालों को
उतरती चाँदनी को नौजवानी कौन कहता है

सभी ने आप-बीती और जग-बीती कही लेकिन
मिरे अंदाज़ से सच्ची कहानी कौन कहता है

कुछ ऐसे लोग होते हैं जो मर के भी नहीं मरते
हैं जिन के नाम ज़िंदा उन को फ़ानी कौन कहता है

जो मेरे लब नहीं कहते मिरे अशआ'र कहते हैं
जो दिल तहरीर करता है ज़बानी कौन कहता है

'सबीला' अपने ग़म को मैं छुपा लेती तो हूँ लेकिन
गिराती हैं जो आँखें उन को पानी कौन कहता है


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