जो भी देना है वो ख़ुदा देगा आदमी आदमी को क्या देगा अपने एहसास में उतार उसे क़ुर्ब का लुत्फ़ फ़ासला देगा भीड़ को चीर कर मक़ाम बना वर्ना आलम ना रास्ता देगा ख़ामा-ए-अद्ल बिक गया तो बिके वक़्त ख़ुद फ़ैसला बना देगा मेरे घर को उजाड़ने वाले जा तुझे आसमाँ सज़ा देगा आग देगा ज़माना घर को मिरे और शो'लों को फिर हवा देगा