जो भी है रंज-ओ-ग़म ख़त्म हो जाएगा उस से करवाओ दम ख़त्म हो जाएगा ख़ुद में इतनी ज़ियादा हवा मत भरो साँस का ज़ेर-ओ-बम ख़त्म हो जाएगा ख़्वाब की फ़स्ल ही गर जला दी गई तो इलाक़े से नम ख़त्म हो जाएगा एक आवाज़ आएगी बस और फिर सिलसिला एक दम ख़त्म हो जाएगा मेरे ग़म से ज़रा वाक़फ़िय्यत बढ़ा देखना तेरा ग़म ख़त्म हो जाएगा अपनी मुश्किल बताता नहीं मैं उसे मेरा सारा भरम ख़त्म हो जाएगा अपने होने की इतनी दलीलें न दे तू ख़ुदा की क़सम ख़त्म हो जाएगा क्या मुक़द्दर में छोटी सी तरमीम से बाम-ए-लौह-ओ-क़लम ख़त्म हो जाएगा मेरे नक़्श-ए-क़दम पर न चलना 'अज़ीज़' मेरा नक़्श-ए-क़दम ख़त्म हो जाएगा