जो बुरे हैं भला नहीं करते जो भले हैं बुरा नहीं करते मौज-ओ-तूफ़ाँ से खेलने वाले नाख़ुदा नाख़ुदा नहीं करते महफ़िल-ए-नाज़ से उठो लेकिन हश्र ले कर उठा नहीं करते आप ने मुस्कुरा दिया होगा फूल ऐसे हँसा नहीं करते दिल कुदूरत से साफ़ क्यों न करूँ आइने में जला नहीं करते क्यों मिटाते हो दाग़-हा-ए-जिगर दीप ऐसे बुझा नहीं करते ख़ूगर-ए-ग़म जो होते हैं 'अहसन' ग़म को दिल से जुदा नहीं करते