जो दिल-नवाज़ हो अपना वो दिलरुबा न मिला सितम-पसंद मिला दर्द-आश्ना न मिला ग़रीब डूब गया बहर-ए-ग़म के तूफ़ाँ में वो जिस को दब के उभरने का हौसला न मिला झुका सके न मिरे दिल को अहल-ए-दैर-ओ-हरम ख़ुदा के घर में ख़ुदा की क़सम ख़ुदा न मिला वो एक तुम हो कि साहिल मिला बग़ैर तलब वो एक मैं हूँ कि तिनके का आसरा न मिला ख़ुदा का शुक्र है 'मोहसिन' कि मिल गई मंज़िल भला हुआ कि हमें कोई रहनुमा न मिला