जो दुआ थी वो बे-असर ठहरी हर ख़ुशी इतनी मुख़्तसर ठहरी वो अचानक बिछड़ गए सब से दिल की धड़कन भी इस क़दर ठहरी अपनी बस्ती उजाड़ने वाले तुझ को इस बात की ख़बर ठहरी हश्र बरपा किया जुदाई पर किस क़यामत की चश्म-ए-तर ठहरी हम तो बेहाल हो गए होते शाइ'री उन की चारागर ठहरी