जूँ गुल तू हँसे है खिल-खिला कर शबनम की तरह मुझे रुला कर मेहमान हो या कि याँ तू आ कर या रख मुझे अपने हाँ बुला कर दर पर तेरे हम ने ख़ाक छानी नक़्द-ए-दिल ख़ाक में मिला कर मानूस न था वो बुत किसू से टुक राम किया ख़ुदा ख़ुदा कर किन ने कहा और से न मिल तू पर हम से भी कभू मिला कर गो ज़ीस्त से हैं हम आप बेज़ार इतना पे न जान से ख़फ़ा कर कुछ बे-असरों को भी असर हो इतनी तो भला 'असर' दुआ कर