जो हसीं हुस्न-ए-तग़ाफ़ुल से गुज़र जाता है चाहने वालों के वो दिल से उतर जाता है जिस तरफ़ सेहन-ए-चमन से वो गुज़र जाता है रंग फूलों का कहीं और निखर जाता है आ भी जाओ कि दुआ माँग रहा हूँ कब से बात रह जाती है और वक़्त गुज़र जाता है उम्र-भर करवटें लेता है वो पैकान-ए-नज़र आँख की राह से जो दिल में उतर जाता है मेरे कहने से ज़रा ज़ुल्फ़ सँवारो तो सही लोग कहते हैं मुक़द्दर भी सँवर जाता है बहर-ए-ग़म में तेरी यादों का सहारा ले कर ग़म का तूफ़ाँ भी मेरे सर से गुज़र जाता है यक-ब-यक कैसे भुला दूँ उन्हें 'जाफ़र' दिल से जाते जाते ही मोहब्बत का असर जाता है