जो जा चुके हैं ग़ालिबन उतरें कभी ज़ीना तिरा ऐ कहकशाँ ऐ कहकशाँ रौशन रहे रस्ता तिरा ख़ूँ-नाबा-ए-दिल की कशीद आख़िर को तिरे दम से है कहने को मेरा मय-कदा लेकिन है मय-ख़ाना तिरा पल-भर में बादल छा गए और ख़ूब बरसातें हुईं कल चौदहवीं की रात में कुछ यूँ ख़याल आया तिरा ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी कुछ रौशनी कुछ रौशनी चला रहा था शहर में मुद्दत से दीवाना तिरा अब गायकों में नाम है वर्ना जो अपने गीत थे सारे दिल के ज़ख़्म थे दर-अस्ल एहसाँ था तिरा ग़ज़लें मिरी तेरे लिए यादें तिरी मेरे लिए ये इश्क़ है पूँजी मिरी ये शे'र सरमाया तिरा