जो जुनूँ था सो वो अब नहीं By Ghazal << बना रहा था कोई आब ओ ख़ाक ... तिरी चश्म-ए-तर में रवाँ-द... >> जो जुनूँ था सो वो अब नहीं मुझे अब तुम्हारी तलब नहीं तुझे क्या ख़बर मिरे हाल की जो कहा तुझे वही सब नहीं ये अलग कि तुझ को सदा न दें हमें याद वर्ना तू कब नहीं मैं ख़ुशी में घिर के उदास हूँ कोई और इस का सबब नहीं Share on: